बेस्टसेलर घोषित हुई मनोज ‘मुंतशिर’ की किताब ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’

 प्रकाशक होने के नाते मैं इतिहास बनते देखता हूँ।  मनोज‘मुंतशिर’ नया इतिहास लिख रहें हैं। ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ का दो वर्षों में चौथा संस्करण हिन्दी की ताकत दर्शाता है। – अरुण माहेश्वरी, चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक वाणी प्रकाशन ग्रुप

  •  कविता के बिना मैं शून्य हूँ। लेखक तभी बन सकते हैं जब आप इसके लिए प्रोग्राम्ड हों– मनोज‘मुंतशिर’, लेखक ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’

वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित प्रसिद्ध कवि, शायर, गीतकार और पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर का बहुचर्चित और बेस्टसेलर ग़ज़ल व कविता संग्रह मेरी फ़ितरत है मस्ताना के चौथे संस्करण का लोकार्पण समारोह 6 फ़रवरी, शाम 6 बजे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हुआ। इन पुस्तक ने लोकप्रिय हिन्दी साहित्य की धारा में अपना एक ख़ास मुक़ाम बना लिया है। पुस्तक का चौथा संस्करण पाठकों के लिए अब उपलब्ध है।

इस किताब का पहला संस्करण वर्ष जनवरी 2019 में प्रकाशित हुआ था। दूसरा संस्करण तीन महीने में ही अप्रैल-2019 पाठकों के समक्ष था। पाठकों के प्रेम के कारण ही जनवरी 2020 में इस पुस्तक का तीसरा संस्करण वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित हुआ था और अब जनवरी 2021 में इस पुस्तक का चौथा संस्करण भी पाठकों के लिए उपलब्ध है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने करते हुए कहा कि लगभग 60 का होने जा रहा वाणी प्रकाशन ग्रुप आज एक विश्वसनीय ब्रांड है और यह हमारा विजन है कि जब कोई बच्चा अपनी पहली किताब हाथ में ले और जब हमारे समाज के अभिभावक, हमारे वरिष्ठ-जन जो पुस्तकें पसन्द करें, उस पूरी यात्रा में वाणी प्रकाशन ग्रुप किताबों के साथ आप सभी के साथ रहे।

लोकार्पण समारोह में वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी में मनोज के लिए  सम्मोहन और दीवानगी है। चाहे भारतीय सिनेमा हो, दूरदर्शन की भाषा हो या फिर पुस्तक ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ में उनकी मस्ती, दर्द और दर्शन, मुहब्बत और संघर्ष, प्रेम और देश प्रेम हो, हिन्दी पाठकों को, दर्शकों को सम्मोहित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सिनेमा में कई हिन्दी लेखक पैर जमाने गये, उन्हें कुछ सफलता भी मिली लेकिन वे मायानगरी से वापस लौट आये। मनोज ‘मुंतशिर’ के हिन्दी प्रेम और भाषायी सौन्दर्य में मुहब्बत के तराने हों या देश प्रेम के गीत या सूफ़ियाना शब्द जो मायानगरी के बीहड़ पथ पर सबल पैर साबित हुए और उनके प्रति आज 25 करोड़ युवाओं की दीवानगी हद पार कर गई है। उन्होंने यह भी कहा “एक प्रकाशन होने के नाते मैं नया इतिहास बनते देख रहा हूँ।”

‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ के चौथे संस्करण के लोकार्पण समारोह में सूत्रधार की विशेष भूमिका में युवा पत्रकार प्रतीक्षा पाण्डेय उपस्थित रहीं। प्रतीक्षा पाण्डेय लेखक और एंकर भी हैं। वे इंडिया टुडे ग्रुप के ‘लल्लनटॉप’ पर प्रसारित होने वाले बहुचर्चित शो ‘ऑड नारी’ की एंकर हैं।

प्रतीक्षा पाण्डेय ने मनोज ‘मुंतशिर’ से उनके लेखकीय सफ़र के बारे में जानने के लिए उनसे पूछा कि वे मनोज शुक्ला से मनोज ‘मुंतशिर’ किस तरह बने? जहाँ एक छोटे शहर का युवा एक बाइक का सपना तो देखता है लेकिन वहीं उन्होंने किस तरह यह सोचा कि उन्हें एक गीतकार बनना है? जिसके उत्तर में मनोज ने कहा “एक बार ख़ुद को समझा लो तो दुनिया को समझाना मुश्किल नहीं” उन्होंने बताया कि पोएट्री एक चुनाव नहीं बल्कि एक ईश्वरीय वरदान है और उनके पास इसके सिवाय कोई रास्ता नहीं था। इसके बिना वे शून्य थे। पिता की इच्छा से वे स्नातक हुए और उसके बाद महज कुछ रुपये लेकर वे अपने सपने पूरे करने के लिए मुम्बई रवाना हो गये।

अपनी संस्कृति और नारी जाति का सम्मान करने वाले मनोज ‘मुंतशिर’ ने कहा “मैं पूरी नारी जाति का सम्मान अपनी माँ के हवाले से करता हूँ”। औरत आदमी की कमीज के बटन से लेकर उसके आत्मसम्मान को सम्भालती है, औरत मर्द के बराबर नहीं, वह ऊँची थी और रहेगी।” अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति का स्मरण करते हुए उन्होंने बताया कि हमारे यहाँ ऋग्वेद में ऋषिकन्याओं की ऋचाएँ हैं और यह वैदिक काल की बात है। वहीं अपने जीवन और प्रेम पर बात करते हुए उन्होंने कहा “मेरे सीने में एक दिल है जो धड़कता है। वो किसके लिए धड़कता है यह मेरा प्राइवेट मैटर है।”

प्रतीक्षा पाण्डेय ने मनोज ‘मुंतशिर’ से एक और बहुत दिलचस्प प्रश्न पूछा कि लेखक किस तरह बना जा सकता है? मनोज ‘मुंतशिर’ ने इस बात को समझाते हुए कहा “पोएट्री इज़ अ डिक्टेशन ऑफ़ गॉड। अगर आप शब्दों की तरफ़ जाने के लिये प्रोग्राम्ड ही नहीं हैं तो आप लेखक नहीं बन सकते। कोई भी महान रचना ‘कर्ण’ की तरह होती है जो ईश्वर और मानव के संयोग से पैदा होती है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह एक आलौकिक रोशनी की तरह आती है और आप रोबर्ट फ्रॉस्ट या कृष्ण बन जाते हैं। आपको उस दिव्यता का पात्र बनना होता है। लेखक बनने के लिये आप पढिये। पढ़ना एक लेखक बनने में ज़रूर मदद कर सकता है।

हिन्दी भाषा और हिन्दी पाठकों के प्रति सम्मान दर्शाते हुए मनोज ‘मुंतशिर’ ने कहा कि मेरा ‘वेलिडेशन’ मेरे पाठक हैं। एक फ़िल्म फेयर ट्रॉफी छोड़ कर मुझे 135 करोड़ ट्रॉफियाँ लोगों के प्यार के रूप में मिलीं। कार्यक्रम में उन्होंने यह भी बताया कि उनकी आने वाली दो फिल्मों में इसी किताब में प्रकाशित कुछ नज़्मों का प्रयोग किया जायेगा।

कार्यक्रम में मनोज ‘मुंतशिर’ के बहुत से पाठकों ने उनके प्रति दिल खोल कर अपना प्रेम प्रदर्शित किया। नेहा बेनीवाल, प्रिंस भाटी, राजा सिंह, आर.पी.शर्मा आदि पाठकों और दर्शकों ने उनसे उनके जीवन और लेखन के सफ़र के बारे में कई प्रश्न पूछे, उनके लिए अपनी लिखी ख़ूबसूरत नज़्में पढ़ीं जिन्हें मनोज ‘मुंतशिर’ ने ख़ूब सराहा और कुछ पाठकों ने उन्हें प्रेमस्वरूप उपहार दिये।

सर्वाधिक लोकप्रिय गीत ‘तेरी मिट्टी’, ‘गलियाँ’, ‘तेरे संग यारा’, ‘कौन तुझे यूँ प्यार करेगा’, ‘मेरे रश्के-क़मर’, ‘मैं फिर भी तुमको चाहूँगा’ जैसे दर्जनों लोकप्रिय गीत लिखने वाले मनोज ‘मुंतशिर’ फिल्मों में शायरी और साहित्य की अलख जगाए रखने वाले चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं। फिल्मी पंडित और समालोचक एक स्वर में यह मानते हैं कि बाहुबली को हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल फ़िल्म बनाने में मनोज ‘मुंतशिर’ के लिखे हुए संवादों और गीतों का भरपूर योगदान है। वे दो बार आइफा अवॉर्ड, उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘यश भारती’, ‘दादा साहब फाल्के एक्सीलेंस अवार्ड’ समेत फिल्म जगत के तीस से भी ज़्यादा प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुके हैं। रुपहले पर्दे पर राज कर रहे मनोज की जड़ें अदब में है। देश-विदेश के लाखों युवाओं को शायरी की तरफ़ वापस मोड़ने में मनोज की भूमिका सराहनीय है। ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ उनकी अन्दरूनी आवाज़ है। जो कुछ वे फिल्मों में नहीं लिख पाये, वह सब उनके पहले कविता संकलन में हाज़िर है।

“वो मेरा चाँद सौ टुकड़ो में टूटा/ जिसे मैं देखता था आँख भरके/ जहाँ पे लाल हो जाते हैं आँसू/ मैं लौटा हूँ उसी हद से गुज़र के।

मनोज ‘मुंतशिर’ ने अपने पाठकों और दर्शकों को यह नज़्म सुनाने के साथ वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित अपनी किताब ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ के चौथे संस्करण के लोकार्पण समारोह का समापन किया।