वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी के तीसरे दिन ‘विश्व प्रसिद्ध कविता कुम्भ'(काव्य गोष्ठी) का आयोजन किया गया।
वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी के तीसरे दिन ‘विश्व प्रसिद्ध कविता कुम्भ'(काव्य गोष्ठी) का आयोजन किया गया जिसमें इलाहाबाद शहर के तमाम हास्य व्यंग्य कवि, लेखक, ग़ज़लकार, शायर आदि रचनाकारों ने अपने-अपने रचनाओं में साहित्य, समाज, इतिहास भूगोल, दलित, स्त्री, आदिवासी और पिछड़े समाज की संवेदनाओं का तल्ख़ एवं यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया। जिसमें कवि, पत्रकार व ‘गुफ़्तगू पत्रिका’ के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाज़ी ने ‘कुछ सलीक़ा सिखा गयी ग़ज़लें, फ़र्ज़ अपना निभा गयी ग़ज़लें’ और ‘ग़र जो चाहो तो वास्ता रखना’ ग़ज़लों का पाठ किया।
सुपरिचित ग़ज़लकार शिवली सना ने ‘ज़िंदगी तेरे सवालों में ये उलझा क्यों है और ‘मुहब्बत जब कभी डार पर लटकाई जाती है’ जैसे संवेदनशील ग़ज़लों का पाठ किया।
कवि,पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शिव पूजन सिंह ने ‘सर्वनाश कोरोना तेरा होता’ और ‘नन्ही परी’ और अनुनाद प्रकाशन के प्रबंधक और युवा कवि लोकेश श्रीवास्तव ने ‘चेतावनी’ और अधिवक्ता एवं युवा रचनाकार कमल पांडेय ने ‘ कभी – कभी जीवन भर तिल – तिल जलना होता है’ ग़ज़ल का पाठ किया।
मशहूर ग़ज़लकार नीलिमा मिश्रा ने ‘दिल में आग लगा दी उसने’ और ‘पत्थर की शिलाओं को अहिल्या बनाइये’ जैसी महत्वपूर्ण ग़ज़लों का पाठ किया।
काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मशहूर हास्य ग़ज़लकार ‘फ़रमूद इलाहाबादी ‘ ने ‘इश्क़ कर के मैं बटा आधा इधर आधा उधर, पर्स रोजाना कटा आधा इधर आधा उधर।’ ग़ज़ल का पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा कवि अमरजीत राम ने ‘मछली’ और ‘रोपनहरी’ जैसी स्त्री केन्द्रित संवेदनशील कविताओं का पाठ किया। काव्य गोष्टी का धन्यवाद ज्ञापन वाणी प्रकाशन समूह के इलाहाबाद शाखा प्रबंधक विनोद तिवारी जी ने दिया। कार्यक्रम में लेखक प्रेमचंद करमपुरी, भूपेश श्रीवास्तव, शोधार्थी कुलदीप कुमार गौतम, श्रद्धा श्रीवास्तव,दीपाजलि, दीक्षा, शिव, हितेष आदि उपस्थित रहे।
वाणी प्रकाशन ग्रुप के बारें में,
वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 59 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक नवीनतम विधाओं में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं तथा देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अब वाणी प्रकाशन ग्रुप, वाणी डिजिटल, वाणी बिज़नेस, वाणी बुक कम्पनी, वाणी पृथ्वी, नाइन बुक्स, वाणी प्रतियोगिता, युवा वाणी और गैर-लाभकारी संस्था वाणी फ़ाउण्डेशन के साथ प्रकाशन उद्योग में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन ग्रुप की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 25 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।
लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।
3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ के अन्तर्गत कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।
वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।
‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने अपनी 51वीं वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्त्रोत हैं।
वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्वस्तरीय प्रयास करना।
वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया था।